हरियाणा के दिग्गज नेता ओम प्रकाश चौटाला का निधन एक युग का अंत: गुरुग्राम में उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ा, 12 बजे गुरुग्राम के मेदांता में ली अंतिम सांस
ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1968 में की। हालांकि, पहला चुनाव हारने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी। 1970 में उपचुनाव जीतकर विधायक बने। 1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल की बड़ी जीत के बाद उनके पिता देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने, और ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया।
गुरुग्राम, अजीत कुमार: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रमुख नेता ओम प्रकाश चौटाला का शुक्रवार को निधन हो गया। 89 वर्षीय चौटाला को गुरुग्राम में उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ा। उन्हें तुरंत मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। चौटाला का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव चौटाला, सिरसा में किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए गांव में रखा जाएगा।
चौटाला का जीवन परिचय और शुरुआती सफर
1 जनवरी 1935 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में जन्मे ओम प्रकाश चौटाला पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के बड़े बेटे थे। राजनीति में उनकी एंट्री पिता की छत्रछाया में हुई और उन्होंने हरियाणा की सियासत में अपना अलग मुकाम बनाया। उनके पिता, चौधरी देवीलाल, स्वतंत्रता सेनानी और हरियाणा की राजनीति के प्रमुख स्तंभ थे। चौटाला ने औपचारिक शिक्षा आरंभिक स्तर तक ही प्राप्त की और अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा।
राजनीतिक सफर और मुख्यमंत्री कार्यकाल
ओम प्रकाश चौटाला ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1968 में की। हालांकि, पहला चुनाव हारने के बाद उन्होंने हार नहीं मानी। 1970 में उपचुनाव जीतकर विधायक बने।
1987 के विधानसभा चुनाव में लोकदल की बड़ी जीत के बाद उनके पिता देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने, और ओम प्रकाश चौटाला को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया।
मुख्यमंत्री कार्यकाल:
ओम प्रकाश चौटाला चार बार (1989, 1990, 1991, और 1999-2005) हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में किसानों के कल्याण, ग्रामीण विकास और हरियाणा के औद्योगिकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।
मुख्य योगदान:
- कृषि और ग्रामीण विकास: किसानों के लिए सिंचाई, बिजली और सड़क सुविधाओं को बेहतर बनाने की योजनाएं शुरू कीं।
- शैक्षिक सुधार: राज्य में नए स्कूलों की स्थापना और शिक्षा के स्तर को सुधारने में बड़ी भूमिका निभाई।
- औद्योगिक विकास: हरियाणा में औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित किया, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
राजनीतिक विवाद और संघर्ष
महम कांड और इस्तीफे का दौर: 1989 में मुख्यमंत्री बनने के बाद चौटाला को महम कांड के चलते साढ़े 5 महीने में इस्तीफा देना पड़ा। 1990 के महम चुनाव में हिंसा और हत्या की घटनाओं के कारण चौटाला का कार्यकाल विवादों में रहा।
शिक्षक भर्ती घोटाला:
2000 में शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें दोषी ठहराया गया। जनवरी 2013 में उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई। तिहाड़ जेल में रहते हुए उन्होंने 82 साल की उम्र में 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास कर सभी को चौंका दिया।
चुनावी राजनीति में उतार-चढ़ाव
चौटाला का पहला चुनाव ऐलनाबाद से था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 1970 में उपचुनाव जीतकर उन्होंने अपनी स्थिति मजबूत की। 1987 में लोकदल की जीत के बाद वे हरियाणा की राजनीति में शीर्ष पर पहुंचे।
एक युग का अंत
ओम प्रकाश चौटाला का निधन हरियाणा की राजनीति में एक युग का अंत है। उनका जीवन संघर्षों, उपलब्धियों और विवादों का मिला-जुला उदाहरण रहा। INLD के नेतृत्व में उन्होंने जाट समुदाय और ग्रामीण हरियाणा की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला। उनकी विरासत हरियाणा की राजनीति में लंबे समय तक याद की जाएगी।
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