दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: घोर कलयुग आ रहा है
संवेदना हीन होते जा रहे है हमारे बच्चें, मशीनरी युग की शुरुआत हो चुकी है, सावधान हो जायेगा वर्ना पश्ताने के अलावा हाथ कुछ नहीं बचेगा.....?
संवेदनाएं लूप्त होती जा रही है, मशीनों के साथ हमने (हमारी नई पिढ़ी) जीवन जीने को प्राथमिकता दी है व…
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