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The path was unknown

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विश्वकर्मा जयन्ती का गौरव

विश्वकर्मा जयन्ती का गौरव विश्वकर्मा जयन्ती के शुभ अवसर पर खुले है भाग जांगिड समाज के..... टेर विश्वकर्मा जयन्ती के शुभ अवसर पर जागे भाग गुलाल के..... टेर हर कोई विश्वकर्मा जी के भजन गावे कोई कोई चुटकलें सुनावै अलग अलग अंदाज…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: राह थी अनजान…..

राह थी अनजान..... ================ अभागे पैर मेरे चल पड़े ना जाने कौन सी डगर ठहरेंगे ना पत्ता था मुझे भविष्य का ना पत्ता था कर्म भुमी का ना पत्ता था सद मार्ग कहा मेरा मैं तो राही बन चल पड़ा था राह अनजान थी मेरी कभी सोचा ही नही था…
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