धर्म-कर्म:भेद सिर्फ ज्ञान से है
-स्वामी विवेकानंद-
स्वामी विवेकानंद है कि अपवित्रता तो केवल एक बाह्य चोला है जिसके नीचे हमारा जो वास्तविक स्वरूप है वह ढंक गया है, लेकिन जो सच्चा तुम है वह पहले से ही पूर्ण है, शक्तिशाली है। आत्मसंयम के लिए तुम्हें बाह्य सहायता की…
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