कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गतिमान युग का पदार्पण
गतिमान युग का पदार्पण
मैं निकला सुकुन लेकर
एक शकून की तलाश में
गांव गलियारे से निकला
एक शहर की ओर....
काम धन्धे की भरमार हो
कुछ लोग मेरे साथ हो
रुपयों की तलाश में
रिश्तें नाते पीछे छूट गएं
जीवन…
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