दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
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रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है।
उलझनें अपनी बनाकर आप हीफॅसता,
और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है।
जानता…
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