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Searching the Inner

दीपक आहूजा की कलम से: अंतस् की खोज

अंतस् की खोज आज अंतस् में यह कैसी, अविरल गहन शाँति है, विचलित था जो मन मेरा, टूट गई इसकी भ्रांति है। कसक जो उठती थी, आज देखो विलुप्त हो रही, यह ज्ञान चक्षु तो खुल गए, हो गयी नयी क्रांति है। परम शाश्वत, परमानन्द ईश्वर भी, जैसे मिल…
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