कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सातारा मौन है
सातारा मौन है
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मैं सातारा शहर हूं
आज मैं स्तब्ध हूं, निशब्द हूं
सही सुना आपने
सही पहचाना आपने
हा सच है अब छुपछाप हूं मैं सातारा
सुनसान है सड़के मेरे शहर की
गल्ली मोहल्लें विरान है
सब्जी मंडी सुनसान है
बच्चें नही खेल रहे…
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