दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आश
पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आष
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तेरा मेरा करते बीत रही है जिंदगानी
जीवन की सच्चाई यही है
बात समझ लू तो......
इसमें ही मेरी भलाई है
रहता हूं किराये की काया में
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूँ
मेरी औकात…
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