कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कारीगर हूं कविता का
कारीगर हूं कविता का
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पहले मैं लकड़ी का
कारीगर हुआ करता था
पर...........
अब कारीगर हूं साहब
शब्दों की वर्णमाला का
कविता, लेख नए नए
हर रोज लिखता हूं साहब
शमा बांधता हूं हर रोज
किसी को अच्छी नही लगती होगी…
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