कवि प्रकाश चन्द जांगिड़ “पिड़वा” पाली की मारवाड़ी कविता: हाचि-हाचि केऊ
हाचि-हाचि केऊ
ने मौज में रेउ,
छापाक ऊना-ऊना देउ,
निंदा करे नाजोगा,
ने के करे गाँव रा बोगा,
ओपोरे तो मस्त रेणों
ने नी करणी फालतू री देणों,
करणीया करणी करे,
वे तो उँदा-उँदा इज मरे,
नेकी माते हालणियो,
एडा कोम ने रोम ऊ डरे,…
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