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Poet Dalichand Jangid

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिद्द और परिश्रम

जिद्द ओर परिश्रम ✍️ लेखक की कलम से.... जिद्द ताकतवर हो ओर भरपुर साथ मिले परिश्रम का तो कोई काम मुश्किल नही होता है..... पहली बार में सफलता नही मिले तो भी चिन्ता मत किजीये। प्रत्येक प्रयत्नेन सम्भवत : सफलता न प्रान्पोति। किन्तु…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना

चारों वेद प्रथम दर्शनी प्रस्तावना वेद सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा दिया गया दिव्य अनुपम ज्ञान हैं। वेद सार्वभौमिक और सार्वकालीन है। सृष्टी बन गई तो इसमें रहने का कुछ विधान भी होगा उसी विधान का नाम है वेद। वेद चार हैं -…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की धनसंपदा

महाराष्ट्र: कवि शब्दों की दुनिया में उपासक स्वरुप होता है, करुणा, दया, क्षमा, याचना, प्रार्थना,उपासना, प्रेम ये सब बालक कवि के प्रेमी मित्र होते है। वह कवि इन छोटे शिशु सखाओं के साथ अठखेलियाँ करता रहता है, बाल लिलाएं करता रहता है, इसीलिए…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : विरोधक शत्रु नही होते, वे गुरु ही होते है जी कुछ लोग रास्ते में.. "गड्ढे" खोदने का काम करें,,, तो परेशान मत होना ये वही लोग हैं जिनकी वजह से "आप".. "छलांग" लगाना सीख जाएँगे...!! …
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कवि, साहित्यकार व पत्रकार, पत्रकारिता की परिभाषा

समाज को क्यूँ जरुरत है कवि, साहित्यकारों की, जानिए एक लेखक के विचार..... मुंबई : कवि, साहित्यकार एक प्रबुद्ध ज्ञानी विचार धारा होती है जो समाज में चल रहे रीति रिवाजों व नियमों के अनुरूप ही अपनी लेखनी से कागज पर अंकित कर समाज के सामने पेश…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता हूं.... समाज विकास के लिए, गुरुजनों से आशिर्वाद मांगता…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कविता अमर रहती है

कविता अमर रहती है लोग कहते है कविता समय बर्बाद करती है, ये क्या कम है कि कवि जाने के बाद दुनिया याद करती है !! कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !! ये उद्देश्य है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : पैसा व सत्ता कुछ बर्षो के मेहमान

महाराष्ट्र: पैसा व सत्ता यह कुछ बर्षो के ही मेहमान होते है, साधारण यही समाज में देखने को मिलता है, उदाहरणार्थ जवानी कुछ बर्षों तक की मेहमान होती है, फिर चली जाती है जो कभी दुबारा लौटकर नही आती है, अगर कोई इस समय का सद्पयोग कर ले तो उतार…
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