कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संत भक्त शोभाराम जी की जीवन लीला
द्वारकापुरी मे होवे आरती, झालर घंट बजावे!
जोती जगती बागो जलग्यो,शोभाराम बुझावे!!
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