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poet Dalichand Jangid Satara

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गांवों से शहर की ओर

उपर की चित्रावली ही इस ग्रामिण जनता शहर की ओर...... के सफर को दर्शाने के लिये काफी है जी! यह कहानी है उस हर समाज की जो चालीस, पच्चास बर्षो से नित्य निरन्तर गांवों से शहर की ओर कूच कर रहे है जो गावों मे पैत्रिक काम धन्धे धीरे धीरे कम हो रहे…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: 50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी लकड़ी री…

50 बर्ष पेला मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी लकड़ी री बणावता.... ====================== एक मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण 👌 जद करु वात बैलगाड़ी री तो ऐ छुट्टा भाग उण रा याद गणा आवै सा.... ⬇ ठाट्टो, उद, जऊड़ो, खील्ली,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: किताब व ग्रन्थ में क्या फर्क है……?

✍ लेखक की कलम से..... किताबों में वह ग्रन्थों में बहुत सा फर्क होता है, किताबों में ज्ञान होता है इतिहास लिखा होता है परन्तु ग्रन्थ वह होता है जो हमारे मन व मस्तिष्क की ग्रन्थियों को खोल देता है वह ग्रन्थ कहलाता है जी, हमारे वैदिक काल को…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कठोर परिश्रम से मन चाही मंझिल तक की यात्रा

✍ लेखक की कलम से...... लाड प्यार से शिष्य ओर संतानें बिगड़ती है, लाड प्यार सिमित शिमाएं तक ही ओना चाहिए, ज्यदा लाड प्रेम में पली बढी संतानों को मिली जूली प्रगति से ही संतुष्ट होना पड़ता है यह सत्य है जी...... जन्म स्थान से स्थालान्तरित…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बैलगाड़ी री गणन्तरी…..

बैलगाड़ी री गणन्तरी..... ***************************** मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण.... 👌 मैं दैखीया बडैरा ने बैलगाड़ी हूबो हूब बणावता कठै वे बैलगाड़ीयो ने कठै धोळा बळदों री वे जोड़ीयों इण जमाना रे माये वे सपना री बातों वेईग्ई…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्रृंगार सुन्दर है कविता का

श्रृंगार सुन्दर है कविता का $$$$$$🌹🌹💐💐$$$$$$ ऐ मेरी प्यारी-सी कविता शब्दों से श्रृंगार करु तेरा तू साथ रहती है तो मान बढाती है मेरा संपादकों के फोन आते पहले नाम लेते तेरा तब मैं कहता हूं ओ मेरे भाई कविता लिखकर हो गई मेरी तैयार…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की अलौकिक दुनिया

कवि की अलौकिक दुनिया .................................................. माँ शारदे की उपासना करते करते कवि पहुंचा अलौकिक दुनिया में जहा माँ का मिलता है आशिर्वाद तहा खुलते है ज्ञान के किवाड़ ना भान रहा ना ज्ञान प्रकाश शून्य सा हो गया…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: छेल भंवर मारो डर गियो फागण महिना में…

छेल भंवर मारो डर गियो फागण महिना में... 🟣🟢🔵🟠🔴🔵🟡🟢🟣 छेल भंवर मारा जपने रेईजे रे... ओ महिनों फागण रो.... हा हा ओ महिनों फागण रो.. साथीड़ों रे साथ भले जाईजे रे... पर उलटी लाईन मत पकड़ जे रे.. दारु भोंग डोडा सू थू दूर रेहिजे रे..…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: रंग पंचमी ब्रज की

|| रंग पंचमी ब्रज की || .................................... मैंने देखी है ब्रज की रंग पंचमी ब्रज की रंग पंचमी है महान गोपियों संग कान्हा खेले हैं सप्त रंगों की करें है बरसात ब्रज में भाभी संग खेले हैं देवर साली संग खेले है जीजा…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: होली रो महत्व है महान 

    होली रो महत्व है महान  ....................................... ओ है होली रो त्योहार होली है रंगों रो त्योहार बृज री होली घणी है महान भाभी संग देवर सा खेले हैं होली साली संग खेले हैं बहनोई सा दोस्तों संग दोस्त खेले होली ओ रंग…
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