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poet Dalichand Jangid Satara

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फागण री मस्ती,गणी है सस्ती

फागण री मस्ती,गणी है सस्ती ======================= जीणी जीणी उड़े रे गुलाल गौरी थारा गांव में..... पेहलो फागण खेलण ने आयो गौरी थारा गांव में..... साथी ड़ा ने साथे लायो चार दिन वास्ते उणने मनायो पेहली होली मनावण आयो गौरी थारा गांव…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: श्री विश्वकर्मा धाम जवाली

श्री विश्वकर्मा धाम जवाली .......................................... चालो जी चालो 🏃🏾‍♂🏃🏾‍♂चालो मारा भाईड़ा रे चालो चालो विश्वकर्मा रे धाम जवाली में मंदिर बणीयो है बड़ भारी हाँल बड़ो बणीयो है बड़ भारी फीत काटेला समाज रा नेतागण…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मन के भाव

मन के भाव ****************************** ईच्छा तो नही मुझे प्रसिध्द होने की पर आप सब मुझे जानते हो बस इतना ही मेरे लिये काफी है लोगों ने मुझे जाना अपने हिसाब से पहिचाना जीवन जीना सिखा मैंने मन रखता हू गहरा गहरा कविता हिंदी में…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शब्दों का मायाजाल

शब्दों का मायाजाल ====================== शब्दों की दुनिया में *हंसी के हंगामें.......*😄😄 हम अजब गजब शब्दों से, दुनिया को हंसाने निकले है। हम टूटे फूटे शब्दों से, दुनिया के लोगों में रंग भरने निकले है। हम नये पुराने शब्दों से,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं कान हूं कान

✍️लेखक की कलम से......... मैं कान हूं कान, पर मेरी दुख दर्द भरी कहानी भी आप आज जरुर सुन लेना जी, हा जी मैं हर पल आपकी सेवा मे हाजिर तो रहता हूं मगर मेरी यातनाओं की लिस्ट भी लम्बी चौड़ी है, सो आज आपके सामने पेश कर रहा हूं जी!! मेरी जीवन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि की परिभाषा

|| कवि की परिभाषा || ___________ अंतरात्मा से निकली आवाज लेख, कविता बन जाती है मानो तो वह कवि है ना मानो तो भावनाओं की बहती धारा लेखक, कवि रीत है पुरानी कविता समाज का दर्पण होती है हिंदी भाषा हमारे सर की पगड़ी है अशुभ काल के शिंश…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आश

पुनर्जन्म की मन में रखता हूं आष ##################### तेरा मेरा करते बीत रही है जिंदगानी जीवन की सच्चाई यही है बात समझ लू तो...... इसमें ही मेरी भलाई है रहता हूं किराये की काया में रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हूँ मेरी औकात…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हेलो करजो कानूड़ा नै…..

हेलो करजो कानूड़ा नै..... ======================= काना ने मनावण नै कोई मथुरा तो जावो रै वृंदावन नी कुंज गल्लीयों में आवाज तो दिरावो रै अब आव काना बेगो बेगो आव थारी गायों गणो गणो दुख पावे रै शरीर पर गुमड़ गणा उभर आवे रै गायो रो…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रगति का मूल मंत्र

✍️ लेखक की कलम से....... जन्म स्थान पर पढ़ाई पूरी कर लो, संस्कार अपने माता पिता व गुरुजनों से सिखो व आयु के 18 से 21 वर्ष तक की आयु सीमा तक जन्म स्थान छोड़कर आप, 400 कि.मी,800 कि.मी.,1200 कि.मी.तक बाहर बड़े शहर में की ओर आय के लिए अवश्य…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: फिजूल शक मत करना

फिजूल शक मत करना ====================== दीये का काम है जलना हवा ने बै वजह शंका पाल रखी है दीये का काम है अंधेरे को हटाना हवा ने बै वजह दीये से दुश्मनी पाल रखी है दीये की लड़ाई अंधेरे के साथ है हवा ने बै वजह उसे बुझाने की मन मे ठान…
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