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poet Dalichand Jangid Satara Mumbai

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगत का फल

संगत आदमी को जीरो से हिरो बना सकती है केवल ज्ञानी, व संस्कारी लोगों के सहवास से..... ✍ लेखक की कलम से...... मन का एक विक पोईन्ट यह है की आप जो रोज रोज देखते हो, बोलते हो, सुनते हो, खाते हो, पीते हो बस यही दृष्य मन बार बार देख व सुन लेता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्री-वेडिंग नहीं है रित हमारी

✍ लेखक की कलम से....... वर्तमान के युग में प्रचार-प्रसार के अनेकों माध्यम के द्वारा अनेक सांस्कृतिक रिती-रिवाजों का आदान-प्रदान बड़ी ही तेजी से हो रहा है इसमे कुछ भी संदेह नहीं है, ओर यह संदेह होना भी नहीं चाहिए कारण खुलम खुला समाज,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: नेत्र, जिह्वा के शौक है हजार; नशा है हि सर्व…

लेखक की कलम से.... नेत्र जिह्वा के शौक है हजार..... नेत्र व जिह्वा के शौक यह दृष्टी सुख व स्वाद रस की पूर्तता कराने वाले शौक है जो अमली पदार्थों के शौक की श्रैणी में नहीं आते है पर यह शौक भी हम नहीं किसी से कम वाले शौक ही है, जब तक यह…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गौडवाड़ के कवि से मिलने कभी भी गूगल पर आ जाओ, आपका स्वागत…

हर पल हर घड़ी हाजिर मिलेगा आपकी सेवा में आपका यह सेवक कवि........ "ज्ञान ज्योति दर्पण की वेवसाईड" के किवाड़ खोलना ना भूले..... कवि निवेदन.... ⬇ नाम दलीचंद जांगिड बतावे गांव खौड जिला पाली बतावे गौडवाड़ जांगिड समाज रो बेटो बतावे कविता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस ======================= वन मे वृक्षों का वास रहने दो झील झरनों मे मे साँस रहने दो वृक्ष होते है जगंल के वस्त्र छीन मत लेना, यह लिबास रहने दो वृक्ष पर घोसला है चिड़िया का तोड़ो मत यह निवास रहने दो पेड़ पौधे है चिराग है…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……

मैं राजस्थान हूं...... पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है अब ये पीगलनी चाहिए एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए खेत जमीन बहुत है मेरे पास बिन पानी उगा ना पाऊं अनाज देश वासीयों के लिए पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: विषमता खाँडमिला एक जहर ही है

 लेखक की कलम से...... जाति एक समाज एक पर रुपयों पैसों से पैदा हुई विषमता यह खाँड मिला एक प्रकार का विष ही है जो समाज में भेद भाव करने पर तुला है, यह सभ्य समाज के लिए गौरव की बात नही है। अमीरी-गरीबी यह तकदीर में लिखी हस्त रेखाओं का फर्क हो…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सम्मान ही प्रगति का बुस्टर डोस आगे बढना

लेखक की कलम से...... किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक "प्रगति का बुस्टर डोस" ही…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए…..

शिक्षा ही एक विकल्प है समाज प्रगति के लिए..... मैं बडैरों ने केवता सुणीया था के......  भणीया पडीयोड़ा रे चार आंखीयों होवे जद मने पढ़ाई रो महत्व ध्यान मे आयो ले पाटी पेण पेमजी मारसा री स्कूलगयो डंडा पड़ीया हाथ पर अण गिणत दो आंगळीयो रे…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कविता माँ शारदे का प्रसाद है

कविता लेख यह माँ शारदे का दिया हुआ प्रसाद हि है...... जो माँ शारदे के चरणों में बैठकर उपासना करने के उपरान्त माँ शारदे की कृपा दृष्टि से मिलता है जो पहले घर के देवता के मंदिर में चढ़ाया जाता है व तद्पश्चात उसका वितरण किसी प्लेट फार्म पर…
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