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poet Dalichand Jangid Satara Mumbai

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गणेश चतुर्थी का गौरव गीत

गणेश चतुर्थी का गौरव गीत गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर खुले है भाग जांगिड समाज के..... टेर गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर जागे भाग गुलाल के..... टेर हर कोई विश्वकर्मा जी के भजन गावे कोई कोई चुटकलें सुनावै अलग अलग अंदाज के...... टेर गणेश…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रगती की परिभाषा ही श्रम है

✍️ लेखक की कलम से...... प्रगती क्या है, प्रगती (विकास) किसे कहते है, प्रगती की व्याख्या क्या हो सकती है, यह बहुत सारे प्रश्न युवाओं के मन में आयु के 18 से लेकर 28 बर्ष की अवस्था में आते है वह आना भी चाहिए, यही प्रगती करने के शुभ संकेत है,…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पिता आधार है घर परिवार का

पिता आधार है घर परिवार का @@@@@@@@@@@@@@ माँ की ममता सब ही सुनावे मैं बतलाऊ क्या है पिता ? माँ जन्म दायत्री है तो पिता घर का मालक है माँ ममता लुटाएं बच्चों पर पिता खोज की खाण है माँ परिवार की चिन्ता करे तो पिता करे नियोजन रोटी…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जायका मेरा, पसंद आपकी

जायका मेरा, पसंद आपकी ****************************** गरीबी से गुजरा हूँ साहब गरीबी का दर्द जानता हूँ! आसमां से ज्यादा, जमीं की कद्र जानता हूँ! देखा हूं प्राचीन रितीरिवाजों को देखी है शहरों की चकासोंद दुनिया को! अनुभव समाज कार्य का…
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