ममता शर्मा “जांगिड” पाली: दिखावे का दंश, मिटते वजूद का अंश।।
दिखावे का दंश।
मिटते वजूद का अंश।।
इंसान एक सामाजिक प्राणी हैं ओर उसे इसी समाज में रह कर अपने जीवन को गुजारना हैं। जिसमें हँसना हैं-रोना हैं, सुख में-दुःख में, हँसी में-खुशी में, मान में-अपमान में, प्यार में-तिस्कार में, भक्ति में-भाव…
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