रामभगत शर्मा की कलम से:: अभिमान और अंहकार स्वयं मिलते हैं जबकि संस्कार माता- पिता से मिलते हैं
आज का सुविचार रुपी मोती
चंडीगढ़: जीवन में संस्कार और अंहकार मानव की प्रवृत्ति के अनुसार ही पल्लवित और पुष्पित होते हैं । अभिमान और अंहकार स्वयं मिलते हैं जबकि संस्कार माता- पिता से मिलते हैं। जैसा कि रावण और भगवान श्री राम के चरित्र से…
Read More...
Read More...