रामभगत शर्मा की कलम से: मेरे जीवन का सफ़नामा
प्रभु का वरदहस्त बचपन से ही सदैव ही मेरे सिर पर
मैं अपने आप को बड़ा ही सौभाग्यशाली समझता हूं और प्रभु का वरद हस्त बचपन से ही सदैव ही मेरे सिर पर सदैव ही रहा है। यही कारण है कि मां का साया जन्म के 7 दिन बाद ही सिर से उठने के पश्चात भी…
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