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My invisible fate is mine

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अदृश्य तकदीर है मेरी

➡ तकदीर से सवाल जबाव....... ऐ तकदीर मेरी तू कहा रहती है......❓ जरा पता तो बता तेरा ललहाट मे रहती है या फिर हाथ की लकीरो में ईच्छा प्रबल है तुझे मिलने की भाव सुचिया बहुत है मन में तुझे सारी बतानी है कही कर्ज चुकाना बाकी है कही फर्ज…
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