मुल्क राज आकाश की कलम से:जिंदगी में फिर से रवानी
रुकी रुकी जिंदगी में फिर रवानी आई है।
आज फिर से खुशियों में जवानी आई है।
मुद्दतों के बाद खिलते देखे हैं चेहरे,
यह खुशियां मेहरबां की मेहरबानी लाई है।
दरिया भी लगे थे सूखने पतझड़ थी हर तरफ,
लगे हैं अब दरिया भरने पेड़ों पर बहार आई है।…
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