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Memories of Ganesh Chaturthi

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगठन निर्माता बनना कितना मुश्किल काम है ? 

स्वार्थ से परमार्थ की ओर....................... स्वहित से हटकर परहित की भावना जब किसी के ह्रदय से उठकर जुबा पर आती है तब किसी ना किसी प्रकार के संगठन या फिर संस्था का जन्म होता है। वह व्यक्ति उसमे अपने को बहा ले जाता है। हर पल संगठन को…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गणेश चतुर्थी की यादें

गणेश चतुर्थी की यादें ====================== जो बीत गया जमाना वो फिर लौटकर नही आता जो हर बर्ष आते नये नये लोग वो पुराने लोग नही आते जो बीत गई गणेश चतुर्थी वो फिर लौटकर नही आती जो दो पहिया वाहन रैली का आंनद वो फिर लौटकर नही आता…
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