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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं

मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं.... ======================= 🏃🏾‍♂️मैं हर रोज आपके वाँटस अप गुरुप में आपके समक्ष आना चाहता हूं.... आपकी पसंद की कुछ प्यारी प्यारी बातें लिखना चाहता हूं.... समाज हित के चार ज्ञान वर्धक…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सच्चा समाज सेवक

सच्चा समाज सेवक 🌹🕉️🌹🕉️🌹🕉️🌹🕉️🌹 🏃🏾‍♂️....लाडपुरा का लाल.... लाडपुरा से निकला सुकून लेकर एक शकून की तलाश में गांव गलियारे से निकला 🏃🏾‍♂️.... एक शहर की ओर गांधीधाम में विस्तार पाया अनंत लोगों से सम्पर्क जमाया कर परिश्रम अति कठोर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चलने का नाम राही है

चलने का नाम राही है ==================== व्यस्त हूं पर आलस्य नही.... जीवन में कुछ कर गुजरने की मनोकामना लेकर चलता हूं व्यस्त हूं पर अस्त नही.... कविताओं के कारण मैं कितने सौ हिस्सों में बट गया हूं कभी मैं एक परिवार का हिस्सा हुआ…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मै दैखीया बडेरा ने

मै दैखीया बडेरा ने ==================== ओ मारा समाज रा लोगो जरा याद करो जूना जमाने ने जब बडैरा मंदिर पर आवता बीच मैदान री घास निकाल कर करता तैयारी दाल बाटी चूरमा री महाप्रसाद री तैयारी करता सगळा मिल बैठ भजन खुद ही गावता नहीं…
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