दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हेलो करजो कानूड़ा नै…..
हेलो करजो कानूड़ा नै.....
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काना ने मनावण नै
कोई मथुरा तो जावो रै
वृंदावन नी कुंज गल्लीयों में
आवाज तो दिरावो रै
अब आव काना बेगो बेगो आव
थारी गायों गणो गणो दुख पावे रै
शरीर पर गुमड़ गणा उभर आवे रै
गायो रो…
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