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Living is not enough

दीपक आहूजा वालों की कलम से: जीना काफ़ी नहीं

जीना काफ़ी नहीं जीना काफ़ी नहीं है, उड़ना भी चाहिए, अपने निज स्वभाव से, जुड़ना भी चाहिए। जो पंछी होता तो, ईश्वर के नगर ही जाता, कुछ नयी ऊँचाइयों को, यह हृदय पा जाता। जीना काफ़ी नहीं है, अंदर डूबना भी चाहिए, प्रेम की इन लहरों से, जूझना…
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