कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जमीन से मंहगी दवा हो गई
जमीन से मंहगी दवा हो गई
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हाथ में लिये कुल्हाड़ी
धना धन पेड़ असंख्य
काट रही है दुनिया सारी
हाईवे…
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