दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं निकला था एक शहर की ओर…..
मैं निकला था एक शहर की ओर.....
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मैं पाली का रहने वाला हूं....
पाली के (खौड) गीत गाता हूं......
1200 K. M. दूर वीराने में
पाली तेरी याद आती है.....
कितनी नदीया,…
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