दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं राजस्थान हूं……
मैं राजस्थान हूं......
पीड़ाएं मेरी पर्वत सी हो गई है
अब ये पीगलनी चाहिए
एक नहर हिमालय से सुखे प्यासे
राजस्थान के लिए निकलनी चाहिए
खेत जमीन बहुत है मेरे पास
बिन पानी उगा ना पाऊं
अनाज देश वासीयों के लिए
पेट भर मजदूरी मिली नहीं…
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