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I am Jangid Brahmin

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: युग परिवर्तन

✍ लेखक की कलम से...... हरेक सौ बर्ष के बाद एक वैष्विक महा मारी पीछले सात सौ बर्षों से आती रही है सिर्फ इसकी पहिचान के लिए समय समय पर अलग अलग नाम दिये गये है यह वाक्या देखने सुनने में आता रहा है व पिछला इतिहास की पुस्तकें पढने मात्र से…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं हूँ जांगिड ब्राह्मण

मैं हूँ जांगिड ब्राह्मण ===================== मैं उस समाज का नागरिक हूं जहा हर घर, दुकान में, ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की आरती गाई जाती है!! मैं उस समाज का नागरिक हूं जहा हर घर मे पूजा आरती करने तक, कोई बंधू अन्न पाणी ग्रहण नही करता!!…
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