कवि दलीचंद जांगिड सातारा की कलम से: बुढापे में हुई पति-पत्नी में थोड़ी अनबन…..
बुढापे में हुई पति-पत्नी में थोड़ी अनबन.....
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मैं तुम्हारी आज्ञकारी धर्म पत्नी हूँ पिया
मुझे अब क्यूँ भूल गये हो बुढ़ापे में पिया
मैं पंचवीसी से छाठवी तक वादें निभाती आयी हूँ
यौवनकाल में कहते थे हम ना होंगे जूदा…
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