दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ह्रदय स्पर्श गीत
ह्रदय स्पर्श गीत.......
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क्षण भंगूर काया, तू कहा से लाया।
तुरुवन समझाया, पर समज ना पाया।।
ये सास नी घोड़ी, चलती रुक थोड़ी ।
चल चल रुक जावे, क्या खोया पाया।।
क्या लेके आयो जग में,
क्या लेके जाएगा।
"" "" ""…
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