शिक्षाविद प्रमोद कौशिक की कलम से: ज्ञान का उजाला है गुरु
ज्ञान का उजाला है गुरु
गुरु शब्द दो व्यंजनों का
स्वरों का जिसमें समाहार है।
गुरु अनोखा, गुरु है अद्भुत,
इसकी महिमा अपरंपार है।
अज्ञान का द्योतक है गु
महाज्ञान रू कहलाता है
मिटे अंधेरा होय उजाला
आकर गुरु जब सहलाता है
बिन गुरु…
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