कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: माँ की ममता भूले नही
माँ की ममता भूले नही
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माँ मेरी पालनहार है
माँ ही प्रथम गुरु है मेरी
माँ ही पाठशाला है मेरी
माँ ही पेन्सिल है, रबड़ है
माँ ही अंधेरे से निकालकर
उज्जीयारे में ले जाती है
मेरी दुनिया तेरे आंचल में
स्वर्ग…
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