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From the pen of poet Dalichand Jangid Satara: I write prayer for progress

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं हिन्दू हूँ, धर्म मारो सनातन है

मैं हिन्दू हूँ, धर्म मारो सनातन है ========================= मैं हिन्दू हूँ ईण रो मने अभिमान है मैं सनातनी हूं ईण रो मने स्वाभिमान है पूजा पाठ हर रोज करु आयो है मोठो त्यौहार पाच अगस्त रो खुशीया झोळी भर लाई है पाच अगस्त तो हर बर्ष…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कारीगर हूं कविता का

कारीगर हूं कविता का ====================== पहले मैं लकड़ी का कारीगर हुआ करता था पर........... अब कारीगर हूं साहब शब्दों की वर्णमाला का कविता, लेख नए नए हर रोज लिखता हूं साहब शमा बांधता हूं हर रोज किसी को अच्छी नही लगती होगी…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं दुकानदार हूं…..

मैं दुकानदार हूं..... *********** मैं दुकानदार हूं ज्यादातर मैं दुकान मे पाया जाता हूं मुख्य मार्केट में चलते नजर गुमाना हर काँन्टर पर मैं ही मैं दिखाई दूंगा सिर दर्द हो, या फिर हो बुखार घर मे रुकने का नाम नही जन सेवा मेरा धर्म है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अहंकार व संस्कार की परिभाषा

आज जानेंगे अहंकार व संस्कार के बारे सविस्तार, इन दोनो में क्या है अन्तर.......? अहंकार का जन्म कैसे हो जाता है, कहा से पनपता है अहंकार वह समय पाकर बड़ा हो जाता है, व उद्रेक मचाता है अहंकार........? इसके उलट दुसरा होता है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: यज्ञ का मानव जीवन में महत्व

सतारा/मुंबई/जीजेडी न्यूज: प्रति दिन घर में करने वाला प्रातःकालीन यज्ञ। मनुष्य के पास अपनी दो चीजे है, वह है अपना शरीर व आत्मा! दैनिक जीवन को वेदों के अनुसार जीने से शरीर स्वस्थ और आत्मा पवित्र बन जाती है। जीवन को उत्तम बनाने के लिए हमें…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रभात वंदना

प्रभात वंदना .................... *अंधीयारी रात बित गई* *प्रभात लालिमा निकल आई है* *नया संदेश साथ लाई है* *प्रथम प्रणाम परमपिता परमेश्वर को* *दुसरा प्रणाम करु* *जन्मदाता मात-पिता को* *तिसरा प्रणाम पृथ्वी माँ को करु* *चौथा करु…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वागत नव वर्ष का करे

स्वागत नव वर्ष का करे ===================== गुड़ी पाड़वा यह मेरा नव वर्ष बसंत बहार यह मेरा नव वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर्वत मलाईयों से बहार आई नव चैतन्य महक सुगंध लाई पेड़ो पर नव काँमल पत्तियाँ जो निकल आई बाग बगीचों मे…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आशा और विश्वास

आशा और विश्वास ................................... भविष्य मेरा कैसा होगा ? था मैं इससे अनजान..... ये जमाना तो हालात पर करता रहता है तोल मोल आजीविका सुदृढ़ बनाना था नही इतना आसान अभागे पैर मेरे चल पड़े थे ना जाने कौन डगर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: राजस्थान दिवस

राजस्थान दिवस .................................. मैं राजस्थान रा सगळा लोग प्रदेश रहकर मनाओ राजस्थान दिवस गणी खुशी सू मरुधर मारो देश सिदो सादो मारो वेश भोळा भाळा लोग अठै मिठा बोले मोर जठै उण देश रो मैं वासी हूं पाली रो मैं…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वाभिमान ही सम्पत्ति हर मानव की

✍️ लेखक की कलम से.... जानदार, शानदार, ईज्जतदार यही है मेरी पहिचान...... हम मध्यमवर्गीय है जरुर पर हमे दिखावा, स्वागत, पद प्रतिष्ठा की जरुरत नही है ईन चीजों की....... वास्तविकता के इर्द गिर्द ही हमारी जीवनयात्रा है, दिखावे से हम कोसों दूर…
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