कवि दलीचंद जांगिड सातारा की कलम से: जीवन राह नहीं थी इतनी आसान
जीवन राह नहीं थी इतनी आसान
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जीवन की राह नहीं थी इतनी आसान
जीतना मैंने समझा था इसको पहिचान
ऊंची चमक रही खनिजों से भरी पहाड़ी
मेरे लिए चढ़ना नहीं था इतना आसान
ढलान थी तीव्र फिसलन तेज कमाल
रुकना नहीं था सोचे…
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