कृष्ण कुमार निर्माण की कलम से: चार मुक्तक
चार मुक्तक
चल अब तू भूल ही जा मुझे सनम।
अपने दिल की कैद से आजाद कर।।
मेरे दिल से निकलकर उड़ जा अब।
इस तरह से तू मेरी कुछ इमदाद कर।।
सबसे हंसकर मिला कीजिए।
मत कभी कोई गिला कीजिए।।
उसकी तो फितरत है…
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