दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मिली ही नही सुख धारा जीवन में..
मिली ही नही सुख धारा जीवन में..
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गरीबी मिली जन्मते ही घर के द्वार,
अपयश मिला उच्च शिक्षा केन्द्र के द्वार,
सब कुछ मिला जीवन में,
पर शिक्षा का रहा अभाव जीवन में!
ज्यू ज्यू जीवन आगे बढा,
हुई दोस्ती ऐसी दु:ख से,…
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