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कवि दलीचंद जांगिड सातारा की कलम से: मन चाही मंझिल अब दूर नहीं…..

मन चाही मंझिल अब दूर नहीं..... ................................................. वो झिलमिल दीपक दिख रहा दूर वही तेरी मन चाही मंझिल है मेरे भाई कर्म कर कष्ट दायी कठिन तू पंहुचा अपनी मन चाही मंझिल के समीप क्यू बैठा है थक कर मेरे…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कठोर परिश्रम से मन चाही मंझिल तक की यात्रा

✍ लेखक की कलम से...... लाड प्यार से शिष्य ओर संतानें बिगड़ती है, लाड प्यार सिमित शिमाएं तक ही ओना चाहिए, ज्यदा लाड प्रेम में पली बढी संतानों को मिली जूली प्रगति से ही संतुष्ट होना पड़ता है यह सत्य है जी...... जन्म स्थान से स्थालान्तरित…
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पदमा प्रजापति का जीवन:खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाउंगी, वरना मुसाफिर खुद्दार हूँ, गुज़र…

जयपुर: राजस्थान सवांईमाधोपुर निवासी सन्त निरंकारी मंडल की मीडिया सहायक (प्रेस एंड पब्लिसिटी) व समाजसेवी पदमा प्रजापति अब हमारे बीच नहीं रहीं, वह 50 वर्ष की थी। पदमा प्रजापति का शनिवार एक मई को प्रातः सवांईमाधोपुर के एक निजी अस्पताल में ईलाज…
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