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Dalichand Jangid Satara

दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं हूँ एक मारवाड़ी

मैं हू एक मारवाड़ी .................................... आप हमे मारवाड़ी कहते हो मन को अच्छा लगता है जरुर यह हमारे क्षैत्रीय भाषा से नामकरण है जो हमारा जन्म भूमि से नाता जोड़ता है आप तो याद रखकर यह भी कह देते जहां नही जाएं रेलगाड़ी…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि को कभी अलविदा मत कहना

कवि को कभी अलविदा मत कहना .................................................... कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं कवि कविताओं से हर दिन हर पल यौवन पाता रहता है समय का रथ चलता रहता है कवि कविताओं के रस में पल पल बहता रहता है कवि का मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस “करो योग रहो निरोग”

          आरोग्य विषय पर नेक सलाह आज अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस का नोवा वर्ष है, योग शरीर को तंदुरुस्त रखने के साथ साथ मन का भी शुध्दीकरण करता है प्रेम भावना बढाता है  *"सारा विश्व मेरा कुटुंब है मैं इस परिवार का सदस्य हूं यह भावना भी अंतर मन…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं ................................................................. एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आवाज बुलंद करो

आवाज बुलंद करो एक ही नारा है हमारा अब तो हमें पानी चाहिए.... हम सब एक है हम सब साथ साथ है आवाज बुलन्द करो हमे पीने का पानी चाहिए.... हमें जीने का मानवी अधिकार आम आदमी का चाहिए कलकारखानों की निर्मिती चाहिए ईन दो हाथो को काम चाहिए…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: संगत का फल

संगत आदमी को जीरो से हिरो बना सकती है केवल ज्ञानी, व संस्कारी लोगों के सहवास से..... ✍ लेखक की कलम से...... मन का एक विक पोईन्ट यह है की आप जो रोज रोज देखते हो, बोलते हो, सुनते हो, खाते हो, पीते हो बस यही दृष्य मन बार बार देख व सुन लेता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: प्री-वेडिंग नहीं है रित हमारी

✍ लेखक की कलम से....... वर्तमान के युग में प्रचार-प्रसार के अनेकों माध्यम के द्वारा अनेक सांस्कृतिक रिती-रिवाजों का आदान-प्रदान बड़ी ही तेजी से हो रहा है इसमे कुछ भी संदेह नहीं है, ओर यह संदेह होना भी नहीं चाहिए कारण खुलम खुला समाज,…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: नेत्र, जिह्वा के शौक है हजार; नशा है हि सर्व…

लेखक की कलम से.... नेत्र जिह्वा के शौक है हजार..... नेत्र व जिह्वा के शौक यह दृष्टी सुख व स्वाद रस की पूर्तता कराने वाले शौक है जो अमली पदार्थों के शौक की श्रैणी में नहीं आते है पर यह शौक भी हम नहीं किसी से कम वाले शौक ही है, जब तक यह…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गौडवाड़ के कवि से मिलने कभी भी गूगल पर आ जाओ, आपका स्वागत…

हर पल हर घड़ी हाजिर मिलेगा आपकी सेवा में आपका यह सेवक कवि........ "ज्ञान ज्योति दर्पण की वेवसाईड" के किवाड़ खोलना ना भूले..... कवि निवेदन.... ⬇ नाम दलीचंद जांगिड बतावे गांव खौड जिला पाली बतावे गौडवाड़ जांगिड समाज रो बेटो बतावे कविता…
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दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस ======================= वन मे वृक्षों का वास रहने दो झील झरनों मे मे साँस रहने दो वृक्ष होते है जगंल के वस्त्र छीन मत लेना, यह लिबास रहने दो वृक्ष पर घोसला है चिड़िया का तोड़ो मत यह निवास रहने दो पेड़ पौधे है चिराग है…
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