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Dalichand Jangid Satara

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिज्ञासा से औत प्रौत है जिंदगी

जिज्ञासा से औत प्रौत है जिंदगी ====================== जिंदगी को मैंने खेल समझा था खुद को माना था खिलाड़ी जब जिंदगी की राह पर चलने लगा अनुभव अजब आने लगे संसार सागर है कभी यह सुन रखा था सागर में उतरकर देखा तो पानी पर चलना था नही…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: एक कवि की दास्तान

एक कवि की दास्तान ===================== यूं ही मैं नहीं कवि बन जाता हूं..... आंतरिक मन मे कल्पना जब उठती है ! समंदर की गहराई में डूब जाता हूं !! तब मैं कवी बन जाता हूं !! सौ शब्दों को जब एक धागे से पिरोता हूं ! तब एक आदर्श कविता…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मात-पिता को वंदन

मात-पिता को वंदन ======================= मुझे इस दुनिया में लाया मुझे बोलना चलना सिखाया ओ मात-पिता तुम्हें वंदन मैंने किस्मत से तुम्हें पाया मुझे इस दुनिया में लाया मुझे बोलना चलना सिखाया ओ मात-पिता तुम्हें वंदन मैंने किस्मत से…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वार्थ का जन्म कब होता है…..?

✍️ लेखक की कलम से...... जब बच्चा तीन चार बर्ष का होता है वह थोड़ी समझ आती है वह परिवार के लोगों के द्वारा जेब वाले शर्ट पहनाए जाते है उसी समय मोह का जन्म होता है व कुछ महिने बीत जाने के बाद जेब में संग्रह करने की आदत के कारण ही स्वार्थ का…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं

मुझे आपकी आज्ञा मिले तो, बहुत कुछ लिखना चाहता हूं.... ======================= 🏃🏾‍♂️मैं हर रोज आपके वाँटस अप गुरुप में आपके समक्ष आना चाहता हूं.... आपकी पसंद की कुछ प्यारी प्यारी बातें लिखना चाहता हूं.... समाज हित के चार ज्ञान वर्धक…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सच्चा समाज सेवक

सच्चा समाज सेवक 🌹🕉️🌹🕉️🌹🕉️🌹🕉️🌹 🏃🏾‍♂️....लाडपुरा का लाल.... लाडपुरा से निकला सुकून लेकर एक शकून की तलाश में गांव गलियारे से निकला 🏃🏾‍♂️.... एक शहर की ओर गांधीधाम में विस्तार पाया अनंत लोगों से सम्पर्क जमाया कर परिश्रम अति कठोर…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: चलने का नाम राही है

चलने का नाम राही है ==================== व्यस्त हूं पर आलस्य नही.... जीवन में कुछ कर गुजरने की मनोकामना लेकर चलता हूं व्यस्त हूं पर अस्त नही.... कविताओं के कारण मैं कितने सौ हिस्सों में बट गया हूं कभी मैं एक परिवार का हिस्सा हुआ…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मै दैखीया बडेरा ने

मै दैखीया बडेरा ने ==================== ओ मारा समाज रा लोगो जरा याद करो जूना जमाने ने जब बडैरा मंदिर पर आवता बीच मैदान री घास निकाल कर करता तैयारी दाल बाटी चूरमा री महाप्रसाद री तैयारी करता सगळा मिल बैठ भजन खुद ही गावता नहीं…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ब्रह्मऋषि अंगिरा जी आरती

ब्रह्मऋषि अंगिरा जी आरती 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 🕉️जय ऋषि अंगिरा, स्वामी जय ऋषि अंगिरा। परम पिता सुख दाता, हरे सकल पीरा।।🕉️ आदि सृष्टि में उपजे, गुरु पद प्राप्त किया। ब्रह्मदिक ऋषियों को, सद उपदेश दिया।। 🕉️ अथर्ववेद युग दृष्टा, बहु विधी श्रुति…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मेरे जीवन का संघर्ष

लेखक की कलम से....... हा अब बात करे की परिवार क्यू टूट रहे हैं इस पर थोड़ा कलयुग की परशाई पड़ी है इस विषय पर बात कर लेते है..... मैं मारवाड़ से निकलकर सन 1967 से महाराष्ट्र में रह रहा हूं, लेकिन मारवाड़ समय-समय पर आते जाते रहा हूं। आज…
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