दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मन के भाव
मन के भाव
******************************
ईच्छा तो नही मुझे
प्रसिध्द होने की
पर आप सब मुझे जानते हो
बस इतना ही मेरे लिये काफी है
लोगों ने मुझे जाना
अपने हिसाब से पहिचाना
जीवन जीना सिखा मैंने
मन रखता हू गहरा गहरा
कविता हिंदी में…
Read More...
Read More...