दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे….
उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे....
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उठ उठ रे बाळ गोपाळ"चन्द्रयान"प्यारे,
भाष्कर तूझे जगाने आया है !!
भोर भई लालिमा निकल आई है,
पंछीयों ने भरी उड़ान,गीत मधुर सुनाए,
दुध से भरी है कटोरी,
दुध में पड़ीया…
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