कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली
आप बीती सुणाऊं मारी बातड़ली
✍️ कवि कलम् लिख देती है एक हास्य रचना
मैं गयो शहर रा एक ब्याव में
सजधज ने कपड़ा नवा पैरने
सगळा खाणो खावे खड़ा खड़ा
बूट चप्पल पग में पैरने
मैं फस गयो ऊभा खाणा में....
सगळा टेबल ऊपर नजर दौड़ाई…
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