दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: बैलगाड़ी री गणन्तरी…..
बैलगाड़ी री गणन्तरी.....
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मारवाड़ी कवि करे बैलगाड़ी रा वखाण.... 👌
मैं दैखीया बडैरा ने
बैलगाड़ी हूबो हूब बणावता
कठै वे बैलगाड़ीयो ने
कठै धोळा बळदों री वे जोड़ीयों
इण जमाना रे माये
वे सपना री बातों वेईग्ई…
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