दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार……
ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार......
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कवि के मन के तल से उठने वाले भाव व साधना प्रसाद के रुप में लिख दी बात लाख मोल की.....
किसी भी जप तप माला आसन ध्यान के लंबे आचरण के उपरान्त साधना में लीन ध्नास्थ अवस्था के…
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