नरेंद्र शर्मा परवाना की कलम से: काश! मेरा बचपन लौट आए
काश! मेरा बचपन लौट आए
बहुत ही बेहतरीन होते हैं यादों के वो पल।
काश! लौट चलें उस ओर....।
वाह ! रे मेरे बचपन प्यारे। थैले में एक पतली सी पुस्तक, एक तख्ती, दवात और कलम, बाद में एक स्लेट और पेंसिल, मस्ती में स्कूल जाना, दोस्तों से रोटी…
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