इंसान बन पाए इंसान नहीं
यह रचना उस वक्त लिखी गई थी जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा था । तब मैं आर्मी के अंदर सर्विस कर रहा था। मेरी पोस्टिंग आगरा में थी। उसी दौरान इस रचना का लेखन हुआ। विचार आ रहे थे कि इंसान को भगवान ने ना हिंदू बनाया, ना सिख बनाया, ना इसाई…
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