कामयाबी के कदम: सोनीपत: एशियन गेम्स के पदक विजेता सुनील पहलवान का गर्मजोशी के साथ स्वागत
नील ने बताया कि उसकी मां अनिता देवी ने जो तप त्याग करके उसकी परवरिश की है इस दैवी मातृशक्ति को वह इस पदक को समर्पित करता है। इसके साथ ही पदक सुनील ने अपनी मां के गले पहना दिया मां ने अपने लाडले को सीने से लगा लिया।
- सुनील के स्वागत के लिए गन्नौर, सांपला, रोहतक, निडानी, खरखौदा व दिल्ली से खेल प्रेमी ऐयरपोर्ट पहुंचे
- पहलवान सुनील ने बताया कि दाढी रखने का रहस्य क्या है
सोनीपत: हरियाणा के जिला सोनीपत के खंड गन्नौर के गांव डबरपुर के पहलवान सुनील मलिक मंगलवार अल सुबह इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर जब उतरा तो खेल प्रेमियों ने उसको अपने कंधों पर उठा लिया। ढोल बजाकर नाचते हुए अपने लाडले कांस्य पदक विजेता का शानदार स्वागत किया।
पहलवान सुनील ने चीन के हांगझोऊ में हुए एशियन गेम्स में 87 किलोग्राम भारवर्ग में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए कांस्य पदक जीता है। सुनील के स्वागत गन्नौर, सांपला, रोहतक, निडानी, खरखौदा व दिल्ली से उसके चाहवान पहुंचे थे। इसमें मलिक खाप, दहिया खाप के प्रतिनिधि सदस्य लगभग 60 वाहनों के साथ दिल्ली के हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। लगभग पौने एक बजे जहाज दिल्ली की धरती पर उतरा लेकिन बाहर आने में पौना घंटा लग गया भीड़ बेकाबू होने लगी थी लोग ढोल नगाड़ों के साथ नाच रहे थे।
भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बड़े स्वागत करने, आशीर्वाद देने वालों में शामिल थे। वहीं मिठाई बांटी गई तो कहीं जलपान की व्यवस्था की गई थी फूलों व नोटों की माला के साथ सुनील को लाद दिया गया। इस प्रेम को देख की सुनील की आंखों में आंसू आ गए।
सुनील ने बताया कि उसकी मां अनिता देवी ने जो तप त्याग करके उसकी परवरिश की है इस दैवी मातृशक्ति को वह इस पदक को समर्पित करता है। इसके साथ ही पदक सुनील ने अपनी मां के गले पहना दिया मां ने अपने लाडले को सीने से लगा लिया। सुनील पहलवान के भाई जतिन, नितिन मलिक, भाभी किरण, बहन डा. रेणू, मामा देवेंद्र, डबरपुर के सरपंच सुनील सीला के साथ भारी संख्या में खेल प्रेमी पहुंचे थे।
पदक विजेता पहलवान सुनील ने बताया कि चीने में शाकाहारी भोजन कम मिलता है, तरबूज सलाद और डबल रोटी जितनी मर्जी खाओं लेकिन मांसाहारी भोजन खाने वालों के लिए बढिया व्यवस्थ थी। लेकिन हम तो देशी चुरमा, घी, दुध दही खाने वालों थोड़ी असुविधा तो हुई। आने वाले खुल प्रेमियों ने कहा कि यह पदक भी 13 साल के बाद भारत को ग्रीको रोमन में मिला है। इसीलिए सुनील पहलवान से ओलंपिक स्वर्ण लाए सभी खेल प्रेमी चाहते हैं। जब हमने सुनील पहलवान से पूछा कि यह दाढी इतनी बड़ी क्यों तो उन्होंने बताया कि इसका भी एक रहस्य मैने पूजा करके यह संकल्प लिया कि जब तक एशियन गेम्स में पदक नहीं आएगा तब तक दाढी ऐसे ही रखूंगा इनको काटूंगा नहीं।
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