कामयाबी के कदम: समर्पित होकर कर्म करोगे तो कामयाबी मिलेगी: आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी महाराज

यह जीवन का सफर कुछ इस प्रकार से आगे बढ़ा कि संस्था के माध्यम से पांच बार तो चार धाम यात्रा जिसमें 1500 भक्तों ने उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की यात्रा की। एक बार दक्षिण भारत रामेश्वरम यात्रा, मीनाक्षी मंदिर मदुरई, परमनाथ मंदिर केरल बालाजी आंध्र प्रदेश में 300 सदस्यों के साथ यात्रा की।

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नरेंद्र शर्मा परवाना

विश्व विख्यात व्यक्तित्व परम श्रद्धेय आचार्य विकास पवन देव चतुर्वेदी धर्म अध्यात्म भारतीय संस्कृति सभ्यता काे विश्व के कोने कोने में अपने दिव्य संदेश के माध्यम से पहुंचा रहे हैं। इनके जीवन का महावाक्य है कि समर्पित होकर कर्म करोगे तो कामयाबी मिलेगी।

यकीनन आपको वास्तव में आनंद आएगा
वृंदावन से हरियाणा के जिला सोनीपत में स्थित सिद्धपीठ तीर्थ सतकुंभा धाम पर वे रामकथा के लिए पहुंचे तो हमारी उनसे मुलाकात हुई। इनके द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली मर्यादा पुरुषाेतम श्रीराम की कथा दिल की गहराई में उतरती चली गई। हम ने उनके साथ कुछ खास चर्चा की है। लंबी वार्ता का संक्षिप्त विवरण हम ज्ञान ज्योति दर्पण के पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। पढियों इन्होंने कर्म की खुशबू से जीवन को महकाया है। आप ध्यान से कुछ समय देकर इसको पूरा पढिये लेकिन रुक रुक कर पढना। पढते समय जरा सा चिंतन मनन और मंथन भी करिएगा। आपको वास्तव में आनंद आएगा।

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कौशल किशोर राम मन्दिर वृन्दावन मथुरा।

मथुरा की सबसे पुरानी रामलीला पार्टी
सबसे पहले तो हम उनके संघर्षमयी जीवन के बारे में जान लें वृंदावन में श्री आदर्श रामलीला कृष्ण लीला मंडल रजिस्टर्ड वृंदावन मथुरा में है। यह मथुरा की सबसे पुरानी रामलीला पार्टी है। इसके साथ ही इन्होंने कौशल किशोर कृपा नामक संस्था स्थापित की है। जिसके माध्यम से धार्मिक आयोजन में तीर्थ यात्राएं, कथा वाचन, हवन यज्ञ, गरीबों की सहायता, रोगियों की सहायता, गरीब कन्याओं के विवाह, गौ सेवा के कार्य कर रहे हैं।

बता रहे हैं दो तरह के साधन
दो तरह के साधन हैं एक तो हम जो कार्य कर रहे हैं उससे कुछ मानदेय मिलता है, जिससे हम अपना घर परिवार चलाते हैं। दूसरा आय का स्रोत है श्रद्धालुओं की ओर से आने वाला दान इसमें जो भी दान की वस्तु, राशी, सामग्री, वस्त्र आदि आते हैं उसको हम दान करने के लिए रखते हैं। इसके लिए आपको और आपके सभी पाठकों, दर्शकों के लिए भी एक खास बात कहना चाहूंगा कि कोई प्रभु भक्त वस्तु को दान करे तो सही जगह पर उपयोग करो। कथा में जो माता बहनें श्रद्धालु भक्त वस्त्र, बर्तन आदि दान प्रदान करते हैं। उसमें से दान का कोई भी सामान अपने ग्रहस्थी परिवार में अपने लिए प्रयोग नहीं करते उसको जरूरतमंदों के लिए दान कर देते हैं।

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सोनीपत: गद्दी पर आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी महाराज।

वृंदावन की धरा जहां भक्ति की रसधारा बहती है
भगवान श्री कृष्ण की वह भूमि जहां से भक्ति की सुगंध से मानव जीवन सुगंधित होते हैं। यह मेरा (पवन देव चतुर्वेदी) का परम सौभाग्य है कि माता श्रीमती क्षमा देवी, पिता श्री भगवान देव जी के घर 29 सितंबर 1989 को जन्म हुआ। यह वो धरा है जहां भक्ति की रसधारा प्रवाहित होती है, धर्म अध्यात्म की ज्ञान गंगा बहती है। ऐसी पावन भूमि वृंदावन में ठाकुर कौशल किशोर राम मंदिर बांके बिहारी कॉलोनी वृंदावन उत्तर प्रदेश में वर्तमान में मेरा निवास स्थान है।

कार्यक्षेत्र देश विदेश में कथा वाचन   
मेरे कार्य क्षेत्र की बात करें तो दादा गुरु संत श्री कौशल किशोर जी महाराज जो अपने वक्त के महान कथा वाचक के रूप में प्रचलित रहे। जिन्होंने राम मंदिर अयोध्या तक वृंदावन से हजारों श्रद्धालुओं के साथ पदयात्रा की थी। उनके चाहने वाले उनके भक्त हजारों की संख्या में रहे। इनसे ही प्रेरित होकर इस धर्म प्रचार क्षेत्र में आए। उनसे शिक्षा दीक्षा ली। मेरे परिवार की कथावाचन करने वाली यह चौथी पीढी है। मैने पढाई वकालत की, शास्त्र अध्ययन के लिए शास्त्री आचार्य करके कथा वाचन की सेवा आरंभ की।

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कथा व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी को 17 साल की उम्र मे मन्दिर सेवा का भार मिला।

आईए अब इनके कुछ मार्मिक पहलुओं पर चर्चा करते हैं
आचार्य व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी बताते हैं उन्होंने राम व कृष्ण का अभिनय पढ़ाई के दौरान ही शुरू किया। जब यह 13 वर्ष के थे तो उनके दादा गुरु संत श्री कौशल किशोर जी ब्रह्मलीन हो गए। उनके 15 दिन के पश्चात इनके पिता श्री भगवान देव चतुर्वेदी जी का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा 4 वर्ष तक बीमार रहे। जब 17 वर्ष की आयु हुई तो पिता के रहते इनका विवाह मथुरा निवासी पंडित श्री राम प्रकाश व ममता देवी की पुत्री श्रीमती ऋतु (पूनम देवी) के साथ हो गया।

संस्कार, संगीत, शास्त्र ज्ञान पूर्वजों से मिली धरोहर
अपने अनुभवों को सांझा करते पवन देव जी बताते हैं कि उनके सामने दादा गुरु कौशल किशोर जी राम कथा करते थे उनकी संगत, उनका सांनिध्य मिलने के कारण भक्तों ने यह कहा कि आप (पवन देव) दादा गुरु वाले गुण रखते हैं। अब इस संस्था की जिम्मेदारी को आप संभालें। बचपन से जो संस्कार, संगीत कला का ज्ञान, शास्त्र ज्ञान पूर्वजों से धरोहर के रूप में मिले थे उन्हीं की बदौलत संस्था की जिम्मेदारी आई। बड़ी बहन ऋचा का विवाह मुंबई के ट्रांसपोर्ट सुमित चतुर्वेदी के साथ हो गया।

चार धाम तीर्थ की यात्राओं का सिलसिला चला
यह जीवन का सफर कुछ इस प्रकार से आगे बढ़ा कि संस्था के माध्यम से पांच बार तो चार धाम यात्रा जिसमें 1500 भक्तों ने उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री की यात्रा की। एक बार दक्षिण भारत रामेश्वरम यात्रा, मीनाक्षी मंदिर मदुरई, परमनाथ मंदिर केरल बालाजी आंध्र प्रदेश में 300 सदस्यों के साथ यात्रा की। नेपाल में 250 सदस्यों का दल जनकपुर पशुपतिनाथ, काठमांडू दामोदर कुंड, मुक्तिनाथ आदि की यात्रा करने सौभाग्य आया जगन्नाथ पुरी में 200 भक्तों के साथ में काशी विश्वनाथ बेजनाथ धाम और कामाख्या गुवाहाटी असम त्रिपुर सुंदरी देवी त्रिपुरा में यात्राएं की।

अब 28 मार्च 2024 को अयोध्या जाएंगे, 18 जून को चार धाम उत्तराखंड और सावन के अंदर गुजरात नागेश्वर सोमनाथ महाकाल उज्जैन ओमकार आदि की यात्रा भक्तों के साथ की जाएगी।

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अपने आश्रम मे सपत्नि दर्शन करते कथा व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी।

प्रभु की कृपा से जो मांगा वही मिला
यह प्रभु की विशेष कृपा अनुकंपा है कि संपन्न घर में जन्म हुआ, जो मांगा वही मिला। यह रहा है कि जब दादा श्री चले गए 15 दिन के बाद पिता का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा किडनी डैमेज हो गई थी। उपचार में 4 साल लगे, उनके साथ सेवा करने में लगा रहा। मुझे जो दर्द सहन करने की ताकत भी पिता से मिली। उनके मार्गदर्शन में जो शिक्षा दीक्षा प्राप्त हुई। उनका महा वाक्य था कि बेटा काम करने वाले को थकावट तो हो सकती है लेकिन पराजय नहीं होती। इसलिए कर्म योग को प्राथमिकता देना, फल प्रभु प्रदान करेंगे इस परमात्मा पर भरोसा रखना।

कथा वाचक से जब आयोजक बने
जीवन में सबसे ज्यादा खुशी का समय 2023 मार्च का महीना रहा। रामनवमी के दिन हमारी संस्था द्वारा निर्मित मंदिर की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही थी। 11 दिन पूरे परिवार के साथ कथा कार्रवाई भंडारे चले, जबकि हम तो खुद कथा करने वाले थे, लेकिन उस वक्त हमें प्रभु ने आयोजक बनने का सौभाग्य दिया। यह इतना दिव्य और भव्य आयोजन हुआ इसमें दुबई, इंडोनेशिया, कुवैत, इंग्लैंड, ओमान, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और भारत के विभिन्न और राज्यों से प्रभु के भक्त शामिल हुए।

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नेपाल मे परिवेश में कथा व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी

समर्पण में मुझे आनंद मिलने लगा
भगवान श्री राम से प्रेरणा मिलती है कि जब किसी से धनुष नहीं टूटा तो उन्होंने धनुष को तोडा था, तब परशुराम कहते हैं कि यह धनुष किसने तोड़ा तो उस वक्त श्री राम बोले जिसने धनुष तोड़ा वो मैं वह हो चुका मैं अब नहीं रहा, अब तो दास हो चुका हूं अर्थात मर्यादा पुरुषोत्तम राम के इसी कथन ने मेरे अहंकार को तोड़ा कि इंसान अहम किस बात का करता है जो स्वयं अवतारी पुरुष हैं वह खुद को दास कह रहे हैं। उसके पश्चात से मेरे अंतःकरण में एक समर्पण का भाव जागृत हुई और पता लग गया कि मेरा मुझ में कुछ नहीं जो कुछ है सौ तेरा इस परमात्मा को मैं समर्पित हो गया इस समर्पण में मुझे आनंद मिलने लगा।

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जनकपुर नेपाल (राम जीकी ससुराल) मे बहा का परिवेश कथा व्यास पवन देव चतुर्वेदी जी

जीवन में कामयाबी के लिए पांच सूत्र  

समय ना रुका ना रुकेगा

  1. सबसे पहले कभी किसी को रुकना नहीं, जो हो रहा है सही हो रहा है इसलिए समय को अपना गुरु मानना है। समय ना कभी रुकता है ना रुकेगा जिस दिन समय रुका तो सृष्टि का अंत हो जाएगा। संक्षिप्त में जान लें कि कई बार अच्छा करते हैं लेकिन परिणाम अच्छे नहीं मिलते। यह हमारे पिछले जन्म का प्रारब्ध भी हो सकता है। कर्म फल तो हर हाल में मिलना ही है।

विनम्र बनिए, अहम से बचिए

  1. जब विचलित होता हूं तो मै प्रथम गुरु मां का अनुसरण करता हूं, उनकी सहनशीलता, सहन करने की शिक्षा को याद करता हूं तो चिंता से मुक्ति मिल जाती है। इसको आप भी अपना सकते हैं। एक उदाहरण के साथ समझ सकते हैं कि तूफान आते हैं तो नरम घास जमीन पर लेट जाती है, बड़े पेड़ खड़े रहते टूट जाते हैं, तूफान गुजरने के बाद घास तो लहलहाती है लेकिन बड़े पेड़ चरमरा कर टूटने के बाद हरे नहीं हो पाते। अर्थात जीवन में विनम्र बनिए, अहम से बचिए।

पत्नी आपको पतन से बचाती है

  1. परिवार में अर्धांगिनी दु:ख के समय साथ निभाती है। कभी जीवन बिगाड़ती है, कभी जीवन बनाती है। इससे प्रेरणा लीजिये क्योकि वास्तव में पत्नी आपको पतन से बचाती है।

दुखों के तप के बाद सुखद अनुभव मिलेगा

  1. कितनी भी कठिन परिस्थिति हो हार ना मानें, क्योंकि हार के आगे जीत ही होती है। इसलिए दु:खों से घबराना नहीं है एक उदाहरण से समझते हैं। चिलचिलाती धुप में चलते हैं तो पसीना आता है लेकिन जब हवा चलती है तो शीतलता का अनुभव करेंगे। बिल्कुल इसी तरह दुखों के तप के बाद प्रभु की कृपा से सुखद अनुभव मिलेगा।

कर्म करो और प्रभु को समर्पित कर दो

  1. सृष्टि इस सृष्टा ने बनाई है इससे बड़ा कारीगर नहीं, इससे बड़ी कोई शक्ति नहीं, इसकी इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। इसलिए कर्म तो करो ईश्वर को समर्पित कर दो, पूरा भरोसा रखो, फल प्रभु देंगे, यकीनन एक दिन प्रभु दशा और दिशा दोनों बदलेंगे अटल विश्वास रखिए।

जहां विज्ञान खत्म होता है वहां से प्रभु ज्ञान आरंभ होता
यह जो पांच सूत्र बताएं है तो इसको यह ना माने कि हम कथा करते हैं इसलिए कोई कथा सुना दी नहीं यह जीवन का वो सत्य जो जीवन बनाता भी है मिटाता भी है। जहां दुनिया का विज्ञान खत्म होता है वहां से तो प्रभु का ज्ञान आरंभ होता है। वेदों की रचना ऐसी है इसमें हर सवाल का जवाब है, हर समस्या का समाधान है।

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